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टाटा का नैनो आईडिया : बारिश में भीगते परिवार को देख बना दी 'लखटकिया कार'

टाटा का नैनो आईडिया : बारिश में भीगते परिवार को देख बना दी 'लखटकिया कार'

मुंबई। पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे भारतीय उद्योगपति और टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन नवल टाटा का बुधवार देर रात को ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे। उन्हें सोमवार को उम्र संबंधी बीमारियों के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था और आज दिन उनकी स्थिति "गंभीर" हो गई थी।
रतन टाटा की दूरदर्शी सोच और समाज के प्रति उनकी संवेदनशीलता का सबसे बड़ा उदाहरण नैनो कार है। इसका विचार उन्हें तब आया जब एक दिन उन्होंने बारिश में एक बाइक पर भीगते हुए पूरे परिवार को सफर करते देखा। उस पल ने रतन टाटा को झकझोर दिया, और उन्होंने सोचा कि ऐसे परिवारों के लिए एक सुरक्षित, किफायती और चार पहियों वाली गाड़ी होनी चाहिए।

यहीं से 'नैनो' का विचार जन्मा—दुनिया की सबसे किफायती कार, जो उन लाखों परिवारों के लिए बनाई गई थी जो बाइक पर सफर करने को मजबूर थे। रतन टाटा का यह कदम उनके समाज के प्रति समर्पण और हर वर्ग को सशक्त बनाने की उनकी सोच का प्रतीक है।


रतन टाटा ने इंजीनियर्स को बुलाया और 1 लाख रुपए में कार तैयार करने के कहा। साल 2008 में मिडिल क्लास को ध्यान में रखते हुए टाटा नैनो लॉन्च की।ये भारतीय कार इतिहास की अब तक की सबसे सस्ती कारों में से एक है। हालांकि लोगों को ये कार ज्यादा पसंद नहीं आई और साल 2020 में इसका प्रोडक्शन बंद करना पड़ा।

रतन टाटा मार्च 1991 से 28 दिसंबर 2012 तक टाटा समूह के अध्यक्ष रहे। उसके बाद 2016-2017 तक एक बार फिर उन्होंने समूह की कमान संभाली। उसके बाद से वह समूह के मानद चेयरमैन की भूमिका में आ गये थे।

उनका जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। उन्होंने अपने कार्यकाल में टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और उदारीकरण के दौर में समूह को उसके हिसाब से ढाला।

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