ईवी से मिलेगी भारत की ऑटो इंडस्ट्री को रफ्तार, 2047 तक 134 लाख करोड़ रुपये पहुंच सकता है आकार
नई दिल्ली । इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के मुताबिक भारत की घरेलू ऑटोमोबाइल
इंडस्ट्री वित्त वर्ष 24 में 20 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2047 तक 1.6
ट्रिलियन डॉलर ( 134 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच सकती है। ऑटो इंडस्ट्री के
तेजी से बढ़ने की वजह इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के चलन में इजाफा बताया जा
रहा है।
डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस में इन-स्पेस के चेयरमैन पवन गोयनका
ने कहा कि देश में ऑटोमोटिव इंडस्ट्री तेज वृद्धि के लिए तैयार है और 2047
तक 32 ट्रिलियन के जीडीपी लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान
देगी।
नई दिल्ली में हुए ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स
एसोसिएशन (एसीएमए) इवेंट में गोयनका ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में
ऑटोमोटिव इंडस्ट्री का योगदान 2047 तक 1.6 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।
आने
वाले समय में ऑटो इंडस्ट्री की जीडीपी में हिस्सेदारी मौजूदा 6.8 प्रतिशत
से अधिक होगी, क्योंकि पिछले दो दशक से ऑटो इंडस्ट्री करीब 17 प्रतिशत के
सीएजीआर से लगातार बढ़ रही है।
देश में ऑटो सेक्टर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार में बड़ी भूमिका निभाता है।
सोसाइटी
ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (एसआईएएम) के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल
ने कहा कि आयात पर निर्भरता घटाने के लिए भारत की ऑटो इंडस्ट्री द्वारा 50
ऐसे महत्वपूर्ण कंपोनेंट की पहचान की गई है, जिनका उत्पादन भारत में किया
जाएगा।
अग्रवाल ने आगे कहा कि भारत की ऑटोमोटिव इंडस्ट्री ने 20 लाख
करोड़ रुपये के आंकड़े को वित्त वर्ष 24 में पार किया है और देश के कुल
जीएसटी का 14 से 15 प्रतिशत हिस्सा ऑटो इंडस्ट्री से आ रहा है।
भारत
दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा पैसेंजर और कमर्शियल वाहन बाजार बन गया है।
वहीं, दोपहिया और तिपहिया श्रेणी में भारत दुनिया का सबसे बड़ा ऑटो बाजार
है।
इस इवेंट में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन
गडकरी ने कहा था कि देश में आने वाले समय में ईवी का चलन तेजी से बढ़ेगा।
अगले दो वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत पेट्रोल और डीजल वाहनों के
बराबर ही पहुंच जाएगी।
--आईएएनएस
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