मंदी के दौर में खरीदी दो विदेशी कंपनी, आज विदेशी भी मानते हैं लोहा
तब जो उन्होंने रतन टाटा से कहा, वह कुछ इस तरह था-अगर आप लोग बिजनेस को संभाल नहीं सकते हों तो बिजनेस में हाथ क्यों डालते हो। फोर्ड अधिकारियों के इस तरह के शब्द रतन टाटा को अंदर तक भेद गए लेकिन वह कुछ नहीं बोले और चुपचाप आकर फ्लाइट पकड़ ली। पूरे सफर के दौरान वह कुछ नहीं बोले लेकिन देश आकर उन्होंने कुछ अलग किया और उसका रिजल्ट सबके सामने है। टाटा सफारी, नैनो, विस्टा, मन्ज़ा व टाटा की नई सनसनी टियागो हैचबैक जैसे कई कारें उनकी इसी सोच का परिणाम है।
बात यहीं खत्म नहीं हुई, ठीक 10 साल बाद यानि साल 2008 में जब पूरे विश्व में मंदी का असर आया था। उस समय फोर्ड मोटर कंपनी ने अपनी दो कंपनी जगुआर व लैंड रोवर को बेचने की घोषणा की। इतने ऊंचे दाम पर इन कंपनियों को किसी ने नहीं लिया लेकिन यह कदम रतन टाटा ने उठाया और मुंह मांगे दाम पर दोनों ही कंपनियों को खरीद लिया। दोनों कंपनियां ब्रिटेन में हैं और आज शानदार काम कर रही हैं।